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बुधवार, 14 सितंबर 2011

हिंदी के आँगन में - विदेशी फुलवा !

आज हिंदी दिवस है क्योंकि इसको संविधान में १४ सितम्बर १९४९ को sअम्वैधानिक रूप से राजभाषा घोषित किया गया था। संविधान के अनुच्छेद ३४३ के अंतर्गत यह प्राविधान किया गया है कि देवनागरी लिपि के साथ भारत की राजभाषा hogi ।
हमारे राजनेता बात बात में संविधान की दुहाई देते हें कि ये करना संविधान की अवमानना होगी. हमारे कितने राजनेता राजभाषा को सम्मान देते हें अगर नहीं देते हें तो unake लिए कोई दंड क्यों नहीं है? वे दशकों से संसद में जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हें और उन्हें हिंदी बोलना नहीं आता और जिन्हें आता भी है वे उसको बोलने में अपने पिछड़ा हुआ नहीं कहलाना चाहते हें. माननीय प्रधानमंत्री जी अपने वक्तव्य अंग्रेजी में देते हें , kya उन्हें हिंदी बिल्कुल नहीं आती उनसे बेहतर तो उनकी पार्टी की अध्यक्षा हें जो विदेशी मूल की होते हुए भी हिंदी बोलना सीखी और जब भी जनता ke बीच होती हें तो हिंदी बोलती हें.
आज अंग्रेजी की महत्ता को इतना बढ़ा दिया गया है कि एक ऑफिस का चपरासी बच्चे को अंग्रेजी मध्यम के स्कूल में ही पढ़ना चाहता है चाहे खुद उसकी किताबों में कुछ भी न जानता हो लेकिन बच्चे को अंग्रेजी के चार शब्द बोलता हुआ देख कर फूला नहीं समाता है. ये है हमारी मानसिक गुलामी की हदें. फिर पढ़े लिखे भी अगर अंग्रेजी कमजोर है तो उसके लिए स्पीकिंग कोर्स ज्वाइन करवा देंगे लेकिन हिंदी में फेल भी तो कोई चिंता नहीं है. जब आम आदमी की सोच ये है तो फिर दूसरे क्यों न हिंदी बोलने पर हँसेंगे? कहीं हमने kisi भी राज्य में हिंदी स्पीकिंग कोर्स चलाते नहीं देखा. इस बात को मानती हूँ कि अब कुछ हद तक हिंदी की पैठ विभिन्न संस्थानों में बढती जा रही है. इस दिवस को रोज ही हिंदी दिवस समझ कर माना जाना चाहिए. सविधान की सिफारिस को प्राथमिकता अभी भी उस रूप में नहीं दी जा रही है जिस रूप में संविधान निर्माताओं ने चाहा था.

8 टिप्‍पणियां:

  1. हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ.

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  2. वो सुबह कभी तो आएगी...
    हिंदी दिवस की शुभकामनाये.

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  3. हिंदी दिवस पर
    बहुत ही रोचक और विश्लेष्णात्मक पोस्ट
    हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    *************************
    जय हिंद जय हिंदी राष्ट्र भाषा

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  4. हिन्दी भाषा का दिवस, बना दिखावा आज।
    अंग्रेजी रँग में रँगा, पूरा देश-समाज।१।

    हिन्दी-डे कहने लगे, अंग्रेजी के भक्त।
    निज भाषा से हो रहे, अपने लोग विरक्त।२।

    बिन श्रद्धा के आज हम, मना रहे हैं श्राद्ध।
    घर-घर बढ़ती जा रही, अंग्रेजी निर्बाध।३।

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  5. कितने लोग तो अंग्रेजी के गुणगान में लगे हुए हैं।

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  6. बहुत ही रोचक और विश्लेष्णात्मक पोस्ट|

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  7. अब आपका ब्लोग यहाँ भी आ गया और सारे जहाँ मे छा गया। जानना है तो देखिये……http://redrose-vandana.blogspot.com पर और जानिये आपकी पहुँच कहाँ कहाँ तक हो गयी है।

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ये मेरा सरोकार है, इस समाज , देश और विश्व के साथ . जो मन में होता है आपसे उजागर कर देते हैं. आपकी राय , आलोचना और समालोचना मेरा मार्गदर्शन और त्रुटियों को सुधारने का सबसे बड़ा रास्ताहै.