www.hamarivani.com

सोमवार, 25 मार्च 2013

कलम का क्रांतिकारी : गणेश शंकर विद्यार्थी !




                                   कानपुर शहर को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले क्रन्तिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी   ने अखबार "प्रताप " से अंग्रेजों के साथ अपनी बगावत को एक अलग दिशा दी . जिसने कलम को ही अपनी बन्दूक और बम बना कर उस शासन की  चूलें ही नहीं हिलायीं बल्कि उसके दम पर ही  देश को एक  नए जोश और देशभक्ति से भरने का काम किया . वे पत्रकारिता में रूचि रखते थे, अन्याय और अत्याचार के खिलाफ उमड़ते विचारों ने उन्हें कलम का सिपाही बना दिया. उन्होंने हिंदी और उर्दू - दोनों के प्रतिनिधि पत्रों 'कर्मयोगी और स्वराज्य ' के लिए कार्य करना आरम्भ किया.
                
             उस समय 'महावीर प्रसाद द्विवेदी' जो हिंदी साहित्य के स्तम्भ बने हैं, ने उन्हें अपने पत्र 'सरस्वती' में उपसंपादन के लिए प्रस्ताव रखा और उन्होंने १९११-१३ तक ये पद संभाला. वे साहित्य और राजनीति दोनों के प्रति समर्पित थे अतः उन्होंने सरस्वती के साथ-साथ 'अभ्युदय' पत्र भी अपना लिया जो कि राजनैतिक गतिविधियों से जुड़ा था.
                      १९१३ में उन्होंने कानपुर वापस आकर 'प्रताप ' नामक अखबार का संपादन आरम्भ किया. यहाँ उनका परिचय एक क्रांतिकारी पत्रकार के रूप में उदित हुआ. 'प्रताप' क्रांतिकारी पत्र के रूप में जाना जाता था. पत्रकारिता के माध्यम से अंग्रेजों की खिलाफत का खामियाजा उन्होंने भी भुगता.  कानपुर कपड़ा मिल मजदूरों के साथ हड़ताल में उनके साथ रहे . १९२० में 'प्रताप ' का दैनिक संस्करण उन्होंने उतारा.  प्रताप के प्रथम अंक  की सम्पादकीय में लिखा था कि  प्रताप सदैव सत्य के  समर्पित रहेगा और उन्होंने अपने उस  को पूरी  से निभाया वे सदैव सत्य के मार्ग पर चलते रहे .

                    इतना नहीं बल्कि उन्होंने अपने प्रताप के माध्यम से और भी  ऐसे काम किये जो उल्लेखनीय  हैं . उन्होंने देश में १८५९ में शुरू हुई कुली प्रथा को अपने पत्र के माध्यम से ही ख़त्म करने का प्रयास किया और सफल  रहे. देश में जमींदारी प्रथा , देशी  का राज्यों का  में विलय , देश की जनता को एक साथ मिलकर लड़ने का सन्देश भी उन्हीं का दिया हुआ था . 
                    एक  विशेष बात यह है कि प्रताप के शुरू होने का यह शताब्दी वर्ष है और हमें उस इमानदार पत्रकार की पत्रकारिता धर्म पर एक दृष्टि डालने की फिर से जरूरत है और यही हमारी  दिन सच्ची श्रद्धांजलि होगी . उनकी शहादत के प्रति हमारा नमन होगा . हम आज उनके बलिदान दिवस  २५ मार्च पर उन्हें याद करके श्रद्धावनत है .

                   

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपके इस आलेख के माध्यम से मुझे एक नयी जानकारी मिली आभार...ऐसे महान पत्रकार एवं क्रांतिकारी को मेरा शत शत नमन...

    जवाब देंहटाएं
  2. नाम तो सुन रखा था मगर आपके माध्यम से पूरी जानकारी मिली ……………आभार्।

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल 26/3/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है ,होली की हार्दिक बधाई स्वीकार करें|

    जवाब देंहटाएं
  4. क्रन्तिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी ....को नमन


    रेखा दी ...आपकी दी गई जानकारी को पढ़ कर अच्छा लगा

    जवाब देंहटाएं
  5. पत्रकारिता के वे आदर्श फिर से जीवित सकें,यही विद्यार्थी जी को सच्ची श्रद्धञ्जलि होगी !

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति ......
    आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं

ये मेरा सरोकार है, इस समाज , देश और विश्व के साथ . जो मन में होता है आपसे उजागर कर देते हैं. आपकी राय , आलोचना और समालोचना मेरा मार्गदर्शन और त्रुटियों को सुधारने का सबसे बड़ा रास्ताहै.